Saturday, July 5, 2014

पहला युगवाणी सम्मान कथाकार गुरूदीप खुराना को



किसी भी तरह के हो-हंगामें की बजाय और बिना किसी पूर्व घोषणा के अचानक से कथाकार गुरूदीप खुराना के घर पर पहुंचकर उन्‍हें पहले युगवाणी सम्‍मान से सम्‍मानित करना, देहरदून के साहित्‍य समाज के अनूठे अंदाज ने न सिर्फ सम्‍मानित हो रहे रचनाकार को भौचक एवं भाव विभोर किया है बल्कि अपने प्रिय रचनाकरों को वास्‍तविक रूप से सम्‍मानित करने के अंदाज की एक बानगी भी पेश की है।
2 जुलाई 2014 की शाम जब देहरादून का मौसम मानसूनी हवाओं के असर में था, कथाकार गुरूदीप खुराना के घर पहुंचकर कथाकार सुभाष पंत उन्‍हें पहले युगवाणी सम्‍मान से सम्‍मानित किया। इस अवसर पर युगवाणी के संपादक संजय कोठियाल, पत्रकार जगमोहन रौतेला, कवि राजेश सकलानी, कथाकार अरूण असफल एवं आलोचक हम्‍माद फारूखी भी युगावाणी के अप्रत्‍याशित बुलावे पर वहां मौजूद थे। युगवाणी ने जुलाई 2014 के अंक को 75 वें वर्ष की यात्रा से गुजर रहे गुरूदीप खुराना पर केन्‍द्रीत रखा है, अलबत्‍ता उसकी तैयारी में उन रचनाकारों को सिर्फ इतना ही मालूम रहा है कि युगवाणी अपना जुलाई अंक गुरूदीप खुराना पर केन्‍द्रीत कर रहा है। इस अंक में कथाकर धीरेन्‍द्र अस्‍थाना, तेजिन्‍दर, सुरेश उनियाल, दिनेश चंद्र जोशी, राजेश सकलानी, नवीन नैथानी एवं कई अन्‍य साहित्‍यकारों ने गुरूदीप खुराना के व्‍यक्तित्‍व एवं कृतित्‍व पर अपने अनुभव एवं विचारों को सांझा किया है।
24 सितम्‍बर 1939 को क्‍वेटा, बलूचिस्‍तान में पैदा हुए कथाकार गुरूदीप खुराना देहरादून के निवासी हैं। उनकी मुख्‍य कृतियां ‘जिस जगह मैं खड़ा हूँ (कविता संग्रह), आओ धूप (उपन्‍यास), लहरों के पास (उपन्‍यास), उलटे घर (कथा संग्रह), बागडोर(उपन्‍यास), उजाले अपने अपने (उपन्‍यास), दिन का कटना (कविता संग्रह), एवं एक सपने की भूमिका (कथा संग्रह), अभी तक प्रकाशित हैं। उनका ताजा उपन्‍यास रोशनी में छिपे अंधेरे किताबघर प्रकाशन से वर्ष 2014 में प्रकाशनाधिन है।

देहरादून से निकलने वाली हिन्‍दी मासिक पत्रिका युगवाणी उत्‍तराखण्‍ड की ऐसी लोकप्रिय पत्रिका है जिसका मिजाज हिन्‍दी साहित्‍य के करीबी होने से देहरादून ही नहीं बल्कि कहीं से भी निकलने वाली हिन्‍दी की लोकप्रिय पत्रिकाओं से भिन्‍न है। वर्ष 2013 में आलोचक पुरूषोत्‍तम अग्रवाल को देहरदून आमंत्रित करके पहले आचार्य गोपेश्‍वर कोठियाल स्‍मृति व्‍याख्‍यान का शुभारम्‍भ करने के बाद युगवाणी का यह प्रथम युगवाणी सम्‍मान का आयोजन उसे हिन्‍दी के साहित्‍य समाज के बीच महत्‍वपूर्ण बना रहा है। आजादी के आंदोलन के दौरान शुरू हुए युगवाणी के प्रकाशन का अपना इतिहास है जो उसकी अभी तक की सतत यात्रा में परिलक्षित हुआ है।
गुरूदीप जी का सम्पर्क : 9837533838

2 comments:

Anonymous said...

Hindi font uplabdh nahi hain isiliye alekh ke liye danyawaad angreji me likh raha hoon !

Gajendra Bahuguna

गजेन्द्र मोहन बहुगुणा said...

Hindi font uplabdh nahi hain isiliye alekh ke liye danyawaad angreji me likh raha hoon ! achha likha hai!

Gajendra Bahuguna